हे प्रभो! आनन्द दाता : प्रार्थना

हे प्रभो! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥

प्रार्थना की उपर्युक्त चार पंक्तियाँ ही देश के कोने-कोने में गायी जाती हैं। लेकिन सच तो ये है कि माननीय त्रिपाठी जी ने इस प्रार्थना को छह पंक्तियों में लिखा था। जिसकी आगे की दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :

गत हमारी आयु हो प्रभु! लोक के उपकार में
हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में

 

श्री राम नरेश त्रिपाठी

Published by rksingh.librarian@gmail.com

. LIBRARIAN IN KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN NEW DELHI UNDER M/O H.R.D. GOVT OF INDIA.