पुस्तक-समीक्षा
तीन विद्वान मुर्ख
शीर्षक : – नैतिक कहानियाँ
लेखक : – सुभद्रा मालवीय
प्रकाशक : – राजपाल एंड सन्स , नई दिल्ली
पृष्ठ : -१०६
मूल्य : -रूपये ५०.००
राजपाल एंड सन्स , नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित श्रीमती सुभद्रा मालवीय की पुस्तक ” नैतिक कहानियाँ ” की समीक्षा करते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है. हमने इस पुस्तक की सभी कहानियाँ पढी और सबका पूरा आनंद उठाया .वास्तव में यह पुस्तक मनोरंजक,ज्ञानवर्धक एवम प्रेरणादायक है. इस पुस्तक में कुल २५ कहानियाँ हैं .मैं यहाँ ” तीन मुर्ख विद्वान ” कहानी पर अपने विचारों को प्रस्तुत करना चाहते हैं. कहानी इस प्रकार है :- चार बालक शिक्षा के लिए काशी गए .उनमे तीन तो विद्वान थे पर बुद्धिमान नहीं थे पर एक बालक विद्वान नहीं पर होशियार अवश्य था. शिक्षा समाप्त होने पर वे सभी अपने घरों की ओर चल पड़े . रास्ते में एक जंगल था. एक शेर का कंकाल पड़ा हुआ था. तीनो विद्वानों ने कहा – हम लोग अपनी विद्या से इस शेर को फिर से जीवित करेंगे.कम विद्वान मित्र बोला – अरे ! मित्रों ऐसा अनर्थ मत करना . यदि यह शेर जीवित हुआ तो हम सबको मार कर खा जायेगा. तीनो मित्रों ने कहा – तुम पढने – लिखने में कमजोर हो इसलिए हम विद्वानों के बीच में मत पदो. यदि तुम्हे डर लगता है तो तुम यहाँ से दूर चले जाओ. चौथा मित्र पास के एक पेड़ पर चढ़ गया . तीनो मित्रों ने अपनी-अपनी विद्याओं से उस मरे हुए शेर को जीवित कर दिया. उस शेर उन तीनो विद्वान मित्रों को मार कर खा गया.
शिक्षा : ” हम सभी को विद्या के साथ-साथ अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करना चाहिए ” नहीं तो हमें नुकसान उठाना पड़ सकता है ठीक उसी तरह जैसे उन तीनो विद्वानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
अंत में मैं कहना चाहूंगा कि यह पुस्तक पठनीय एवम संग्रहणीय है.
द्वारा :- हर्ष गौर
कक्षा ;- 6