पुस्तक – समीक्षा

शीर्षक : – नैतिक कहानियाँ

लेखक : – धर्मपाल शास्त्री

प्रकाशक : – सूर्य भारती प्रकाशन , नई दिल्ली

पृष्ठ : – ५०

मूल्य : -50

धर्मपाल शास्त्री की पुस्तक सूर्य भारती प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित ” नैतिक कहानियाँ “समीक्षा करते हुए हमें अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है .इस पुस्तक में कुल १० कहानियां है . हमने पुस्तक को गहराई से अध्यनंं किया और पाया वास्तव में यह पुस्तक मनोरंजक , ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक है.यहाँ मैं ” लालच आई मुसिबत लाई “ कहानी पर अपने विचारों को व्यक्त करना चाहतें हैं . किसी जंगल में एक बाघ रहता था . जब तक उसके शारीर में ताकत थी तब तक वह सरलता से शिकार करके अपना भोजल जुटा लेता था . एक समय ऐसा भी आया जब वह बूढ़ा हो गया . उसके सामने से उसका शिकार भाग जाता था किंतु वह उसे पकड़ नहीं सकता था . उसने सोचा ” यदि इस तरह से वह अपना शिकार पकड़ नहीं पाया तो जल्दी ही भूख से मर जायेगा . हम जानते हैं कि समस्याएँ जब भी आती हैं तो साथ उसका समाधान भी लती हैं . उसके दिमाग में एक शिकार पकड़ने विचार आया . उसने मारी गई महिला का http://librarykvs1023.blogspot.com/?m=0 लिया और दलदली नदी के किनारे बैठ गया . जल्दी ही उसे अपनी तरफ आता हुआ एक ब्राह्मण दिखाई दिया . उसने ब्राह्मण को ललचाने के लिए कहा ” हे ! ब्राह्मण देवता मैंने जीवन बड़े पाप किये हैं . अब मैं इस कंगन को आपको दान कर अपने पापों का प्राश्चित करना चाहता हूँ . कृपया यह कंगन लेकर मेरा कल्याण करने के कृपा करें . ब्राह्मण ने कहा ” आपका क्या भरोसा , कहीं आप हमको मारकर खा लें . बाघ ने कहा ” मेरी मृत्यु निकट है . मेरा विश्वास कीजिये . आपको यह कंगन दान देकर मैं स्वर्ग जाना चाहता हूँ .

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